सिंगूर की जमीन पर बने रहना चाहती है कंपनी
टाटा मोटर्स ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि वह पश्चिम बंगाल में सिंगूर में उसके कारखाने के लिए आबंटित एकड़ जमीन अपने पास रखना चाहती है और नैनो परियोजना के अगले विस्तार के दौर में वह प्रदेश में लौटना चाहती है.
न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ के समख टाटा मोटर्स की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा, ‘‘मुझे सर्वोच्च स्तर से यह कहने का निर्देश मिला है कि हम वहां :पश्चिम बंगालः लौटने के इच्छुक हैं।ङ्कङ्क साल्वे ने यह बात इस परियोजना को गुजरात स्थानांतरित करने के बाद की स्थिति में सिंगूर में आबंटित भूमि के बारे में कंपनी का दृष्टिकोण स्पष्ट करने संबंधी शीर्ष अदालत के सवाल के जवाब में यह बात कही।
न्यायाधीशों ने पूछा था, ‘‘सिंगूर में जमीन कार विनिर्माण परियोजना के लिये भूमि प्राप्त की गयी थी। अब यह मकसद रहा नहीं क्योंकि आप पहले ही वहां से अन्यत्र चले गये हैं। आप अब यह नहीं कह सकते कि इस भूमि में आपकी अभी भी दिलचस्पी है.ङ्कङ्क न्यायाधीशों का कहना था, ‘‘यह भूमि किसानों को वापस दी जानी चाहिए थी और हम पश्चिम बंगाल सरकार को इस मसले पर हलफनामा दाखिल करने के लिये कह सकते हैं कि भूमि अधिग्रहण के वक्त जिस राशि का आपने भुगतान किया था, वह आपको लौटा दी जाये।ङ्कङ्क टाटा मोटर्स के जवाब पर पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने कहा कि वह यह जमीन किसानों को लौटाने का अनुरोध करेंगे।
इन दलीलों का संज्ञान लेते हुये न्यायालय ने कहा कि चूंकि कंपनी भूमि अपने पास रखना चाहती है, इसलिए उसे राज्य सरकार की याचिका का गुणदोष के आधार पर निर्णय करना होगा। न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई अगले साल अप्रैल के लिये स्थगित कर दी।
न्यायालय सिंगूर भूमि पुनर्वास और विकास कानून, ० निरस्त करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के पिछले साल जून के निर्णय के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. इस कानून के तहत टाटा मोटर्स को दी गयी ०० एकड़ जमीन वापस लेने का अधिकार सरकार को दिया गया था।
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